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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के इकतालीसवें अध्याय से पैंतालीसवें अध्याय तक (From the 41 chapter to the 45 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) इकतालीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) इकतालीसवें अध्याय के श्लोक 1-19 का हिन्दी अनुवाद) “राजा …
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के छत्तीसवें अध्याय से चालीसवें अध्याय तक (From the 36 chapter to the 40 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) छत्तीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) छत्तीसवें अध्याय के श्लोक 1-17 का हिन्दी अनुवाद) “स्व…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के इकतीसवें अध्याय से पैंतीसवें अध्याय तक (From the 31 chapter to the 35 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) इकतीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) इकतीसवें अध्याय के श्लोक 1-17 का हिन्दी अनुवाद) “सुवर्…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के छब्बीसवें अध्याय से तीसवें अध्याय तक (From the 26 chapter to the 30 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) छब्बीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) छब्बीसवें अध्याय के श्लोक 1-17 का हिन्दी अनुवाद) “युधिष…
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Important note,
सभी अंश,खण्ड,पर्व के सभी अध्याय की मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये ..धन्यवाद (Note:- All chapters of all excerpts are machine typed, errors are possible in it, it should not be considered a part of the book.)। thanks
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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