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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के तीन सौ ग्यारहवें अध्याय से तीन सौ पन्द्रहवें अध्याय तक (From the 311 chapter to the 315 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( मोक्षधर्मपर्व ) तीन सौ ग्यारहवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) तीन सौ ग्यारहवें अध्याय के श्लोक 1-21 का हिन्दी अनुवाद)…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के तीन सौ छःवें अध्याय से तीन सौ दसवें अध्याय तक (From the 306 chapter to the 310 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( मोक्षधर्मपर्व ) तीन सौ छःवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) तीन सौ छःवें अध्याय के श्लोक 1-50 का हिन्दी अनुवाद) “योग और…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के तीन सौ तीनवें अध्याय से तीन सौ पाचवें अध्याय तक (From the 303 chapter to the 305 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( मोक्षधर्मपर्व ) तीन सौ तीनवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) तीन सौ तीनवें अध्याय के श्लोक 1-54 का हिन्दी अनुवाद) “प्रक…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के तीन सौ एकवें अध्याय व तीन सौ दौवें अध्याय (From the 301 chapter and the 302 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( मोक्षधर्मपर्व ) तीन सौ एकवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) तीन सौ एकवें अध्याय के श्लोक 1-116 का हिन्दी अनुवाद) “सांख्…
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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