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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के इक्यासीवें अध्याय से पचासीवें अध्याय तक (From the 81 chapter to the 85 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) इक्यासीवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) इक्यासीवें अध्याय के श्लोक 1-18 का हिन्दी अनुवाद) “क…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के छिहत्तरवें अध्याय से अस्सीवें अध्याय तक (From the 76 chapter to the 80 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के इकहत्तरवें अध्याय से पचहत्तरवें अध्याय तक (From the 71 chapter to the 75 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) इकहत्तरवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) इकहत्तरवें अध्याय के श्लोक 1-18 का हिन्दी अनुवाद) “ध…
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Important note,
सभी अंश,खण्ड,पर्व के सभी अध्याय की मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये ..धन्यवाद (Note:- All chapters of all excerpts are machine typed, errors are possible in it, it should not be considered a part of the book.)। thanks
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- Dangi blogger
- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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