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शिव पुराण विद्येश्वर संहिता का इक्कीसवें अध्याय से पच्चीसवें अध्याय तक (From the twenty-first chapter to the twenty-fifth chapter of Shiv Purana Vidyeshwara Samhita)
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【विद्येश्वर संहिता】 इक्कीसवाँ अध्याय "शिवलिंग की संख्या" सूत जी बोले :- महर्ष…
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शिव पुराण विद्येश्वर संहिता का सोलहवें अध्याय से बीसवें अध्याय तक (From the sixteenth chapter to the twentieth chapter of Shiv Purana Vidyeshwara Samhita)
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【विद्येश्वर संहिता】 सोलहवाँ अध्याय "देव प्रतिमा का पूजन तथा शिवलिंग के वैज्ञ…
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शिव पुराण विद्येश्वर संहिता का ग्यारहवें अध्याय से पंद्रहवें अध्याय तक (From the eleventh chapter to the fifteenth chapter of Shiv Purana Vidyeshwara Samhita)
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【विद्येश्वर संहिता】 ग्यारहवाँ अध्याय "शिवलिंग की स्थापना और पूजन विधि का वर्णन&q…
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शिव पुराण विद्येश्वर संहिता का पहला अध्याय से दशवाँ अध्याय तक (From the first chapter to the tenth chapter of Shiv Purana Vidyeshwara Samhita)
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【विद्येश्वर संहिता】 पहला अध्याय "प्रयाग में सूतजी से मुनियों का तुरंत पापनाश करने वाले साधन के व…
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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