भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? (How did Lord Shiva originate ?)


भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? (How did Lord Shiva originate ?) 
यहां यह बात ध्यान रखने की है कि वेद कहते हैं कि 'ईश्वर अजन्मा है।' यहां हम ईश्वर की बात नहीं करेंगे। देवों के देव महादेव की बात करेंगे, जो सबसे ज्यादा ईश्वरतुल्य हैं। हिन्दू धर्म मानता है कि ईश्वर ने कुछ भी नहीं बनाया। उसकी उपस्थिति से सब कुछ स्वत: ही बनता गया। ईश्वर समय और आकाश की तरह है जिसके भीतर सब कुछ है फिर भी वह सबसे बाहर है और उसके भीतर कुछ भी नहीं है।

ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म एक रहस्य है। तीनों के जन्म की कथाएं वेद और पुराणों में अलग-अलग हैं। उनके अलग-अलग होने का कारण यह है कि जो शिव को मानते हैं, वे शिव को ही केंद्र में रखकर अपना दर्शन गढ़ते हैं और जो विष्णु को मानते हैं, वे विष्णु को केंद्र में रखते हैं। लेकिन सभी पुराण इस बात पर तो सहमत हैं कि ‍शिव ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की पुत्री सती और विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्री लक्ष्मी से विवाह किया था। ऐसे में सभी तरह की अलंकारिक और श्रृंगारिक कथाओं के रहस्य को समझना जरूरी है।

भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ (How lord shiva was born) ...

अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है जबकि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं।

शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि-कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।

शिव के जन्म की कहानी हर कोई जानना चाहता है। श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार से अभिभूत हो स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे, तब एक जलते हुए खंभे, जिसका कोई भी ओर-छोर ब्रह्मा या विष्णु नहीं समझ पाए, से भगवान शिव प्रकट हुए।

भगवान शिव का बालरूप (Child form of Lord Shiva) ...

यदि किसी का बचपन है तो निश्चत ही जन्म भी होगा और अंत भी। विष्णु पुराण में शिव के बालरूप का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने इसके लिए तपस्या की। तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका नाम ‘ब्रह्मा’ नहीं है इसलिए वह रो रहा है।

तब ब्रह्मा ने शिव का नाम ‘रुद्र’ रखा जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’। शिव तब भी चुप नहीं हुए इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया, पर शिव को वह नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए। इस तरह शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए और शिव 8 नामों (रुद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए। शिव पुराण के अनुसार ये नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे।

भगवान शिव के प्रकट होने की कथा (Story of Lord Shiva's appearance) .....

शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्मांड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्माजी प्रकट हुए।

ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिवजी प्रकट हुए। ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया, तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई। ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा। शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया।

कालांतर में विष्णु के कान के मैल से पैदा हुए मधु-कैटभ राक्षसों के वध के बाद जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया। अत: ब्रह्मा ने तपस्या की और बालक शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए।

भगवान शिव का पहला अवतार (The first incarnation of Lord Shiva) ...

भगवान शिव का विवाह ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की पुत्री सती से हुआ था। एक बार दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने शिव व सती को निमंत्रित नहीं किया। भगवान शिव के मना करने के बाद भी सती इस यज्ञ में आईं और जब उन्होंने यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो यज्ञवेदी में कूदकर उन्होंने अपनी देह का त्याग कर दिया।

जब भगवान शिव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे रोषपूर्वक पर्वत के ऊपर पटक दिया। उस जटा से महाभंयकर वीरभद्र प्रकट हुए।

शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काटकर उसे मृत्युदंड दिया। बाद में देवताओं के अनुरोध करने पर भगवान शिव ने दक्ष के सिर पर बकरे का मुंह लगाकर उसे पुन: जीवित कर दिया।

वीरभद्र के अलावा शिव के 18 और अवतार हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- पिप्पलाद, नंदी, भैरव, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी और यक्ष।

आगे :-- इन सभी अवतारों का विस्तृत वर्णन करेंगें "

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