शिव पुराण श्रीरुद्र संहिता (तृतीय खण्ड) के छब्बीसवें अध्याय से तीसवें अध्याय तक (From the twenty-sixth to the thirtieth chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (3rd volume))
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【श्रीरुद्र संहिता】 【तृतीय खण्ड 】 छब्बीसवाँ अध्याय "पार्वती को शिवजी से दूर रहने का आदेश"…
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शिव पुराण श्रीरुद्र संहिता (तृतीय खण्ड) के इक्कीसवें अध्याय से पच्चीसवें अध्याय तक (From the Twenty-one to Twenty-five chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (3rd volume))
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【श्रीरुद्र संहिता】 【तृतीय खण्ड 】 इक्कीसवाँ अध्याय "पार्वती की तपस्या" ब्रह्माजी बोले ;- ह…
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शिव पुराण श्रीरुद्र संहिता (तृतीय खण्ड) के सोलहवें अध्याय से बीसवें अध्याय तक (From the sixteenth to the twentieth chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (3rd volume))
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【श्रीरुद्र संहिता】 【तृतीय खण्ड 】 सोलहवाँ अध्याय "तारक का स्वर्ग त्याग" ब्रह्माजी बोले ;…
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शिव पुराण श्रीरुद्र संहिता (तृतीय खण्ड) के ग्यारहवें अध्याय से पंद्रहवें अध्याय तक (From the eleventh chapter to the fifteenth chapter of Shiv Purana Sri Rudra Samhita (3rd volume))
।। ॐ नमः शिवाय ।। शिव पुराण का सरल भाषा में हिंदी रूपांतर 【श्रीरुद्र संहिता】 【तृतीय खण्ड 】 ग्यारहवां अध्याय "भगवान शिव की गंगावतरण तीर्थ में तपस्या"…
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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