सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के एक सौ छत्तीसवाँ अध्याय व एक सौ सैतीसवाँ अध्याय (From the 136 chapter and the 137 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( आपडद्धर्मपर्व ) एक सौ छत्तीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) एक सौ छत्तीसवें अध्याय के श्लोक 1-11 का हिन्दी अनुवाद…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के एक सौ इकत्तीसवें अध्याय से एक सौ पैतीसवें अध्याय तक (From the 126 chapter to the 130 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व ( आपडद्धर्मपर्व ) एक सौ इकत्तीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) एक सौ इकत्तीसवें अध्याय के श्लोक 1-14 का हिन्दी अनुव…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के एक सौ छब्बीसवें अध्याय से एक सौ तीसवें अध्याय तक (From the 126 chapter to the 130 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) एक सौ छब्बीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) एक सौ छब्बीसवें अध्याय के श्लोक 1-19 का हिन्दी …
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के एक सौ इक्कीसवें अध्याय से एक सौ पच्चीसवें अध्याय तक (From the 121 chapter to the 125 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) एक सौ इक्कीसवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) एक सौ इक्कीसवें अध्याय के श्लोक 1-60 का हिन्दी …
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सभी अंश,खण्ड,पर्व के सभी अध्याय की मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये ..धन्यवाद (Note:- All chapters of all excerpts are machine typed, errors are possible in it, it should not be considered a part of the book.)। thanks
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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