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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के ग्यारहवें अध्याय से पंद्रहवें अध्याय तक (From the 11 chapter to the 15 chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) ग्यारहवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) एकादश अध्याय के श्लोक 1-12 का हिन्दी अनुवाद) “अर्जुनका…
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के छठवें अध्याय से दसवें अध्याय तक (From the six chapter to the tenth chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) छठवाँ अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) षष्ठ अध्याय के श्लोक 1-13 का हिन्दी अनुवाद) “युधिष्ठिर की …
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सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) के प्रथम अध्याय से पाचवें अध्याय तक (From the first chapter to the fifth chapter of the entire Mahabharata (shanti Parva))
सम्पूर्ण महाभारत शान्ति पर्व (राजधर्मानुशासन पर्व) प्रथम अध्याय (सम्पूर्ण महाभारत (शान्ति पर्व) प्रथम अध्याय के श्लोक 1-18 का हिन्दी अनुवाद) “युधिष्ठिर के प…
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Important note,
सभी अंश,खण्ड,पर्व के सभी अध्याय की मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियाँ संभव हैं, इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये ..धन्यवाद (Note:- All chapters of all excerpts are machine typed, errors are possible in it, it should not be considered a part of the book.)। thanks
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- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।। अर्थात ;- अयोध्याजी के राजा श्री रामचंद्रजी को मन में रख कर जो सब काम करता है उसके लिये विष भी अमृत बन जाता है, शत्रु मित्र बन जाते हैं, समुद्र गाय के खुर जितना छोटा हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। professional website click on this link. click here website demo
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